लघुकथा / वंडरफुल
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साहित्य ( Literature )
लघुकथा /वंडरफुल
मंत्री जी जनजाति कल्याण के उद्देश्य से राज्य के आदिवासी इलाके के दौरे पर थे।वे वहां के एक पुराने दामिन -ई -कोह डाकबंगले में ठहरे हुए थे । उनके आने की खबर सुनकर एक आदिवासी मजदूर मदद पाने के लिए उनके सम्मुख आ खड़ा हुआ।मंत्री जी को उसकी वेश -भूषा देखकर लगा कि वह बेहद गरीब और आभावग्रस्त है । उन्होंने उसकी मदद करने की गरज से पूछा - तुम्हारा नाम क्या है?
वह व्यक्ति बिना कोई उत्तर दिए चुपचाप खड़ा रहा।
मंत्री जी ने उससे दुबारा सवाल किया - तुम कहां से आये हो, किस गांव के रहने वाले हो?
इस बार भी वह कोई उत्तर न दे सका। मंत्री जी के सामने याचित मुद्रा में हाथ बांधे खामोशी साधे रहा।
इस बार उसकी ढीढाई पर मंत्रीजी गर्म हो उठे । वे गुस्से में उससे बोले - नाम -पता तक मालूम नहीं और चले आते हैं आर्थिक मदद मांगने, हमारा माथा खाने, चले जाओ यहां से ।
मंत्री जी को गुस्से में लाल -पीला होते देख कर तुरंत उनका निजी सचिव बगल के कमरे से निकल कर वहां आये। उन्होंने उस आदिवासी मजदूर को उसकी आदिवासी भाषा में कहा -तुम गांव जाओ साहेब जल्द ही तुम्हारी और तुम्हारे गांव की समस्या का समाधान करा देंगे।
यह सुनकर उस आदिवासी व्यक्ति का बुझा हुआ चेहरा खिल उठा। वह मंत्री जी का अभिवादन कर कमरे से बाहर हो गया। फिर तेज क़दमों से चलकर घने जंगल में खो गया।
उसके चले जाने पर मंत्री जी ने निजी सचिव से पूछा-कौन था, कहां से आया था।
निजी सचिव ने उन्हें बताया - वह सुदूर पहाड़ी पर से आया था सर । लंबे समय से दुर्गम पहाड़ियों पर निवास करने वाले ये लोग पहाड़िया जनजाति कहलाते हैं। एक समय पूरे इलाके पर इन्हीं आदिम जनजातियों का राज था। लेकिन आज यह जनजाति गरीबी, कुपोषण,तंगहाली, निरक्षरता और बीमारियों के चंगुल में फंस गई है। तेजी से इनकी आबादी घटती जा रही है। पता नहीं यह जनजाति 21वीं सदी के और कितने वर्ष देख पायेगी...।
"वंडरफुल "- एकाएक मंत्री जी बोल उठे।
आज ही कल्याण विभाग के मुख्य सचिव से कहें कि वे एक सप्ताह के अंदर इस विलुप्तप्राय जनजाति के उत्थान के लिए विस्तृत और ठोस कार्ययोजना बनाकर दें। उसमें खर्च की जाने वाली राशि का कोई बंधन नहीं रहेगा।
निजी सचिव ने कहा - जी, जी, सर।
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