कैसे शुरू हुई मौसम की भविष्यवाणी/ WEATHER FORCASTING
Weather Forcasting
कैसे शुरू हुई मौसम की भविष्यवाणी
सभी लोग यह जानने के लिए तत्पर रहते हैं कि आज, कल और कुछ दिनों बाद का मौसम कैसा रहेगा।आसमान साफ रहने का मतलब होता है कि मौसम ठीक व सामान्य रहेगा। आसमान में बादल छाए रहने व बारिश होने से किसान और अन्य संबंधित लोग सचेत हो जाते हैं। इसी तरह मौसम के पूर्वानुमान से वर्षा होने, आंधी आने, ओले पड़ने आदि की भी जानकारी मिल जाती है। इससे समुद्र में मछली पकड़ने वाले व वहां काम करने वाले लोग भी सावधानी बरतते हैं. इस तरह मानव जीवन के लिए मौसम की भविष्यवाणी बेहद उपयोगी है। इससे हमारा जीवन व्यवस्थित और सुरक्षित रहता है। इसके अन्य अनेक अनेक लाभ भी हैं। आइए जानते हैं
प्राचीन काल में लोग इसकी जानकारी कैसे पाते थे, इसकी अचूक जानकारी पाने की तकनीक कैसे
विकसित हुई आदि के बारे में रोचक जानकारी।
क्या होता है मौसम
मौसम शब्द अरबी भाषा से आया है। किसी खास स्थान या शहर के वातावरण की स्थिति वहां का मौसम कहलाता है। यह वहां के तापमान, आसमान में छाए बादलों की स्थिति, हवा, वायु का दबाव व हवा में मौजूद आद्रता आदि पर निर्भर करता है। इसी के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।
क्या है मौसम की भविष्यवाणी
किसी स्थान विशेष नगर व उसके आस-पास के क्षेत्रों
के लिए कल व अगले तीन-चार दिनों का मोसम कैसा
रहेगा इसकी भविष्यवाणी को मोसम संबंधी भविष्यवाणी
कहते हैं।
क्यों की जाती है मौसम की भविष्यवाणी
आप जानते हैं कि मनुष्य जीविकोपार्जन के लिए खेतों,
वनों, समुद्रों व आउटडोर इवेंट्स पर भी निर्भर करता
है। अच्छी बारिश होगी तो फसल अच्छी होगी। बारिश
कम या नहीं होगी तो अकाल पड़ जाएगा। समुद्री तूफान
व चक्रवात से समुद्री जहाज, मछलियों का शिकार
करने वाले मछुआरे आदि प्रभावित हो सकते हैं। अतः
पूर्व में मौसम की भविष्यवाणी करने से वे सजग हो
जाते हैं। इस तरह धन व जन की सुरक्षा होती है।
चाहें तो आप इससे होने वाले लाभ की लंबी सूची बना
सकते हैं।
घरों पर लगाए जाते थे वेदर वेन
पुराने जमाने में मौसम के पूर्वानुमान के प्रति
जागरूकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि
वे मौसम की जानकारी व हवा का
लिए घरों की छतों पर वेदर वेन
लगाते थे। उसमें चार तीरों
के निशान पूर्व, पश्चिम, उत्तर
व दक्षिण दिशाओं को इंगित
करते थे और उनके ऊपर मुर्गा,
मछली या घोड़े की मूर्ति लगी
होती थी। ये वेदर वेन नाक्काशीदार और आकर्षक होते थे।
कब हुई इसकी शुरुआत
चूंकि मौसम की जानकारी मनुष्यों के लिए अति
लाभदायक साबित होती है। इसलिए पूरे विश्व में
मौसम का पूर्वानुमान प्राचीन काल से किया जाता आ
रहा है। प्राचीन इतिहास के अनुसार ईसा पूर्व 650 में
बेबीलोन सभ्यता के विद्वान ग्रहों-नक्षत्रों के आधार पर
मौसम की भविष्यवाणी करते थे। उनके अनुसार, यदि
सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखे तो इसका मतलब है
कि अगले दिन आसमान साफ रहेगा। भारत और चीन
में ईसा पूर्व तीसरी सदी में मौसम की भविष्यवाणी का
प्रमाण मिलता है। कई भारतीय प्राचीन विद्वानों ने इसके
लिए उपकरण भी बनाए थे। नवें दशक के ईराक के
मौसम विज्ञानी अबू बकर अहमद उर्फ अली आईबेन
क्वास असे वहसियाह को आधुनिक पद्धति से मौसम
की भविष्यवाणी करने वाला वाला भविष्यवक्ता माना जाता है। भारत में घाघ और घागिन भी प्रसिद्ध मौसम भविष्य वक्ता थे। वे आसमान में छाए बादल व मौसम संबंधी अन्य रुख को देखकर मौसम का सटीक पूर्वानुमान बताते थे। उनके मौसम की भविष्य वाणी से संबंधित अनेक फैकड़े काफी लोकप्रिय हैं।
कब शुरू हुई आधुनिक पद्धति की मौसम की पूर्व सूचना
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सटीक पद्धति से मौसम संबंधी भविष्यवाणी की शुरुआत 1859 से हुई। उसकी नींव ब्रिटिश रॉयल नेवी के अधिकारी फ्रांसिस बिफोर्ड व उनके सहयोगी आफिसर रॉबर्ट फिट्जरॉय ने डाली थी।
उन्होंने आधुनिक मौसम संबंधी भविष्यवाणी के नए व उपयोगी सूत्र और प्रतिमान गढ़े, जिनका आज भी उपयोग होता है। बिफोर्ड ने हवा-दबाव पैमाना विकसित किया तथा
फिट्जरॉय के वेदर बुक ने बहुत प्रसिद्धि पाई। उस समय
आसमान में बैलून उड़ा कर मौसम संबंधी सूचनाएं एक
त्रित की जाती थीं। 1835 में टेलीग्राफ का आविष्कार
होने से मौसम सूचनाओं को विभिन्न शहरों व देशों में
भेजने से इसकी उपयोगिता का विस्तार हुआ।
British Royal Navy Officer Robert Fitzroy
कैसे शुरू हुआ मौसम की भविष्यवाणी का प्रचलन
यूरोप में 1859 में आए भयानक समुद्री तूफान से हुई थी। उसमें
व्यापक क्षति के बाद रॉबर्ट फिट्जरॉय ने सुरक्षा की दृष्टि
से मौसम का पूर्वानुमान के लिए वैज्ञानिक पद्धति पर
आधारित मौसम चार्ट बनाई। उससे इसमें बड़ा लाभ मिला।
तभी से “मौसम की भविष्य वाणी ” लोकप्रिय हो गया जो आज और व्यापक रूप में प्रचलित है। कंप्यूटर, सूचना क्रांति और इंटरनेट मीडिया के मौजूदा समय में अत्याधुनिक संसाधनों के साथ इसके माध्यम से लोगों की व्यापक सेवाएं हो रहीं हैं।
Fine
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