My Experience on Happiness Programme



हैडिंग : हैप्पीनेस शिविर में
सुदर्शन क्रिया के गुणों के हुए कायल
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14-19 नवंबर, 2017 को भागलपुर के थिओसोफिकल हॉल में आयोजित हुआ था आर्ट ऑफ़ लिविंग का उल्लेखनीय  योग शिविर
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योगासन, प्राणायाम व ध्यान से तनाव मुक्त और ऊर्जावान बने प्रतिभागी
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लोगों ने सीखे आनंद के साथ  जीवन जीने के  पांच सूत्र
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🧘‍♂विकास पाण्डेय

श्री श्री रविशंकर जी ने आर्ट ऑफ़ लिविंग के  हैप्पीनेस योग शिविर के जरिये जन सामान्य के  लिए सरल योगासन, प्राणायाम, ध्यान और आज के संघर्ष भरे जीवन को सरस ढंग से जीने के सूत्र बताएं हैं । छह दिवसीय इस शिविर को करने वाले प्रतिभागी योग के सामान्य ज्ञान तथा प्रमुख आसन, प्राणायाम, ध्यान व इनसे जुड़ी बारीकियों से अवगत हो जाते हैं।वे इन्हें सीखकर घर पर भी करके  तनाव मुक्त व  शांति का अनुभव कर सकते हैं और स्वस्थ एवं निरोग रह सकते हैं । इसी उद्देश्य से 2017 के 14 से 19 नवंबर तक मैंने भागलपुर के भीखनपुर स्थित सुप्रसिद्ध थियोसोफिकल हॉल में छह दिवसीय हैप्पीनेस शिविर का आयोजन किया  था । इसमें मुझे इसके महासचिव डॉ. अरविंद पंजीआरा जी का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ था।उसमें भागलपुर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेंद्र नारायण भगत, डॉ. रविंद्र भगत, डॉ. अरविंद पंजीआरा तथा डॉ. अनीता कुमारी गुप्ता ने भी शिरकत की थी। शिविर के छह दिनों में  गुरुजी द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम के अनुरूप आज के व्यस्त और संघर्षपूर्ण जीवन को सहज़ व आनंद के साथ गुजरने के पांच सूत्र या कुंजी
की जानकारी दी गई। इसे रोचक अंदाज में सम्पादित करने व मन को खाली करने के लिए अन्य प्रतिभागियों के साथ उनकी गोष्ठियां भी कराई गईं । हर दिन सुबह शिविर के प्रारंभ में प्रतिभागियों ने वार्म अप के लिए कई एक्सरसाइज किए।इन छह दिनों में  उन्हें  कई मुख्य व बहुपयोगी योगासन, प्राणायाम, पंचकोष ध्यान आदि कराए गए। प्रत्याभागियों को  शीघ्र ऊर्जा पाने के लिए  भस्त्रिका प्राणायाम व मन को तनाव मुक्त करने, गहरी स्वास लेने, शरीर में जमा  टॉक्सिन दूर करने  तथा फेफड़े व शरीर के अन्य आंतरिक अंगों को स्वस्थ व सक्रिय बनाए रखने में मददगार थ्री स्टेज प्राणायाम और  अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत भाए। उन्हें कमर दर्द, मोटापा दूर करने व शक्तिवर्धक सूर्य नमस्कार प्राणायाम भी सिखलाया गया।इस शिविर में गुरुजी की आवाज में दो दिन सुदर्शन क्रिया करने को  प्रतिभागियों ने   सबसे अहम उपलब्धि मानी।तनाव दूर करने, शरीर में एकत्रित  विषाक़्त पदार्थों को स्वांस के जरिये निकाल कर शरीके शुद्धिकरण  व हल्का बनाने जैसे अनेक गुणों से भरपूर सुदर्शन क्रिया  वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एन. एन. भगत को इतनी भाई कि उन्होंने इसे एक दिन और कराने की फरमाइश कर दी, जिसे आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्टेट कोऑर्डिनेटर गणेश सुल्तानिया जी से विशेष अनुमति प्राप्त कर पूरा किया गया था। सभी को इसे घर पर करने का तरीका  भी बताया गया। शिविर के आखिरी दिन 19 नवम्बर को सभी प्रतिभागियों ने इस योग शिविर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसके सभी दिनों में सिखाए गए वार्म अप एक्सरसाइज, योगासन, प्राणायाम व ज्ञान की  कुंजियों को जीवनपयोगी बताया और संतुष्टि जताई।उन्होंने सुदर्शन क्रिया को प्रभावशाली व बहुत ही उपयोगी बताया। सभी लोगों ने शिविर आयोजन में सहयोग के लिए थियोसोफिकल हॉल के महामंत्री डॉ. अरविंद पंजीआरा जी व अन्य सहयोगियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। योग प्रशिक्षक  ने सभी सभी ज्ञान पीपासू प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

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बॉक्स मैटर
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विश्व के लोगों को तनावरहित, स्वस्थ, प्रसन्न व ऊर्जावान बनाए रखनेवाले योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 वर्ष पूर्व हुई है। इसके आदि गुरु भगवान शिव हैं।गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने योग के महत्व की विस्तार से चर्चा की है। उस समय के ऋषि मुनि योगासन, प्राणायाम व ध्यान कर लंबे समय तक खुशमिजाज, ऊर्जावान व निरोग रहते थे । वे लंबे समय तक जीवित रहते थे। इसकी खूबियों को देखते पतंजलि ऋषि ने जनहित के लिए  योग के समस्त बिखरे पड़े  सूत्रों को संकलित कर पतंजलि योग सूत्र पुस्तक  की रचना की। लेकिन संस्कृत की वह रचनावली गूढ़ होने के कारण विद्वानों को छोड़  सामान्य जन के समझ और उपयोग के अनुरूप नहीं थी। देश के पूर्व व वर्त्तमान योग गुरुओं ने उस ग्रन्थ के योग सूत्रों को भलीभांति समझ बूझ कर  उन्हें सरल सहज़ शब्दों व व्यवहार में सामान्य जन के उपयोग के लिए संसार के सामने रखा। इनमें स्वामी विवेकानंद, महर्षि रमण, महर्षि मेंहीँ, महर्षि महेश योगी, शिवानंद सरस्वती, सत्यनानंद सरस्वती , परमहंस योगानंद, श्री श्री रविशंकर 
आदि शामिल हैं|स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान योग, राज योग आदि कई पुस्तकों में योग की सरल व्याख्या की है। श्री श्री रविशंकर ने 1967-68 में आर्ट ऑफ़ लिविंग ( जीवन जीने की कला ) संस्था की स्थापना कर भारत व विश्व के लोगों के लिए सर्वजनिन तथा बहुपयोगी अष्टांग योग उपलब्ध कराया । श्री श्री ने इस पंगति के लेखक के आग्रह पर बताया कि  उस समय लोग समझते थे योग,ध्यान, साधना आदि  करना साधु संतों का काम है।यह  सामान्य लोगों के बस की बात  नहीं है। वे इसे कर ही नहीं सकते। लेकिन हमने इस ज्ञान को जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। यह खासा चुनौती भरा कार्य था। हमारे टीचर लोगों से योग सीखने का आग्रह करने जाते थे तो वे उन्हें दुत्कार देते थे। लेकिन उनके बहुत आग्रह करने पर जिन लोगों ने  योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि किये तो  उन्हें इसका लाभ मिला। धीरे धीरे लोग  इसके कायल होते गए। लोगों के बीच योग की  लोकप्रियता बढ़ती चली गई। आज देश - विदेशों में इसका डंका बज रहा है। विदेशों में यह इतनी लोकप्रिय है कि आर्ट ऑफ़ लिविंग की 155 से अधिक देशों में शाखाएं हैं। जन जन के बीच इसकी लोकप्रियता को देखते  संयुक्त राष्ट्र ने 2014 से 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की।इसकी लोकप्रियता को स्वीकार कर  199 से अधिक देशों के साशनाध्यक्ष  ने  इसके लिए मत दिए। कोरोना के शमन में योग की बहुआयामी व  व्यापक महत्ता को पूरी दुनिया ने कबूल की है। संसार भर के लोग स्वीकार करते हैं कि इसमें यह  काफ़ी कारगर सिद्ध हुआ है ।
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